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अभय भुताड़ा: एक प्रेरणादायक नेता जो सफलता और संपत्ति की नई परिभाषा गढ़ रहे हैं

  • Writer: Ravi Kohli
    Ravi Kohli
  • Mar 11
  • 3 min read

Updated: May 11


अभय भुताड़ा, साइरस पूनावाला समूह के रणनीतिक सलाहकार और अभय भुताड़ा फाउंडेशन के संस्थापक हैं। वे भारत के सबसे अधिक वेतन पाने वाले कार्यकारी अधिकारी बन चुके हैं। FY24 में उनकी कुल कमाई ₹241.21 करोड़ (स्टॉक विकल्पों सहित) रही। उनकी कुल संपत्ति ₹1000 करोड़ से ज्यादा है, जो उनकी बुद्धिमत्ता, रणनीतिक सोच और मेहनत का प्रमाण है। महाराष्ट्र के एक छोटे शहर से निकलकर, उन्होंने फाइनेंस और बिजनेस की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है।


Abhay Bhutada

अभय भुताड़ा का सफर: मेहनत से सफलता तक

अभय भुताड़ा का जन्म महाराष्ट्र के लातूर जिले में हुआ। चार्टर्ड अकाउंटेंसी की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने 2010 में बैंक ऑफ इंडिया में SME फाइनेंस प्रोफेशनल के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। पारिवारिक व्यवसाय से जुड़े होने के कारण, उनमें बचपन से ही बिजनेस की समझ थी।


उन्होंने एक कंसल्टेंसी फर्म शुरू की, जो छोटे और मध्यम उद्योगों (SMEs) को वित्तीय सहायता दिलाने में मदद करती थी। 2016 में, उन्होंने TAB Capital नाम से एक डिजिटल लेंडिंग NBFC शुरू किया, जिसने MSME सेक्टर को फाइनेंस में मदद दी।



व्यापार में बड़ी छलांग

2019 में, पूनावाला फाइनेंस ने TAB Capital का अधिग्रहण किया और अभय भुताड़ा को MD और CEO नियुक्त किया। उनके नेतृत्व में, कंपनी ने तेजी से तरक्की की।


2021 में, उन्होंने पूनावाला फिनकॉर्प की कमान संभाली और इसे भारत की टॉप फाइनेंशियल कंपनियों में शामिल कर दिया। उनके प्रभावी निर्णयों की वजह से, कंपनी को CRISIL AAA रेटिंग मिली, ₹25,000 करोड़ का AUM हासिल किया और FY24 में ₹1000 करोड़ का शुद्ध मुनाफा कमाया।



नई ऊंचाइयों की ओर

नई चुनौतियों को अपनाने के जुनून के कारण, अभय भुताड़ा ने पूनावाला फिनकॉर्प के MD पद से स्वेच्छा से इस्तीफा दिया और नए बिजनेस वेंचर्स पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया।


अभय भुताड़ा की आर्थिक सफलता

अभय भुताड़ा की बुद्धिमानी भरी फाइनेंशियल प्लानिंग और रणनीति ने उन्हें इतनी सफलता दिलाई है। वे बाजार के रुझानों को समझने और सही समय पर डिजिटल फाइनेंस व टेक्नोलॉजी को अपनाने में माहिर हैं।

उनका मानना है कि, "हर दिन एक नया अवसर होता है, हर असफलता सीखने का मौका देती है, और हर सफलता खुद को और बेहतर बनाने का मौका देती है।"


उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले हैं, जिनमें ‘ग्लोबल इंडियन ऑफ द ईयर 2023’, ‘यंग एंटरप्रेन्योर ऑफ इंडिया 2017’, ‘प्रॉमिसिंग एंटरप्रेन्योर ऑफ इंडिया 2019’, और ‘एशिया वन 40 अंडर 40 मोस्ट इन्फ्लुएंशियल लीडर्स 2020-21’ शामिल हैं।



समाज सेवा में योगदान: अभय भुताड़ा फाउंडेशन

व्यापार में सफल होने के बाद भी, अभय भुताड़ा समाजसेवा में भी सक्रिय हैं। उनका अभय भुताड़ा फाउंडेशन शिक्षा, स्वास्थ्य और युवा सशक्तिकरण के लिए काम करता है।

  • ‘लर्न बाय डूइंग’ प्रोग्राम के तहत पुणे के जरूरतमंद बच्चों को STEM किट्स दी जाती हैं, जिससे वे विज्ञान को आसान और मजेदार तरीके से सीख सकें।

  • अभय भुताड़ा छात्रवृत्ति कार्यक्रम के जरिए मेधावी लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को मदद दी जाती है।

  • स्वास्थ्य क्षेत्र में, ग्रामीण इलाकों में हेल्थ कैंप, ब्लड डोनेशन ड्राइव और हेल्थ अवेयरनेस प्रोग्राम आयोजित किए जाते हैं।

  • खेलों में रुचि रखने वाले कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि के युवाओं को कोचिंग और संसाधन उपलब्ध कराए जाते हैं।


निष्कर्ष

अभय भुताड़ा की कहानी मेहनत, लगन और सही रणनीति से सफलता पाने का बेहतरीन उदाहरण है। लातूर जैसे छोटे शहर से निकलकर, उन्होंने भारत के सबसे ज्यादा वेतन पाने वाले कार्यकारी अधिकारी बनने तक का सफर तय किया है।


लेकिन उनकी असली पहचान सिर्फ उनकी संपत्ति से नहीं, बल्कि उनके समाज सेवा और लोगों की ज़िंदगियों में बदलाव लाने के प्रयासों से बनती है। उनका फाउंडेशन शिक्षा, स्वास्थ्य और खेल के क्षेत्र में जरूरतमंदों की मदद कर रहा है।



 
 
 

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